कहानी -रक्षा बंधन
ग्रीक नरेश सिकंदर की कथा
राखी के विषय में ऐसा कहा जाता है कि ग्रीक नरेश सिकंदर की पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए उसके शत्रु पुरुराज को राखी बाँधी थी।कथानुसार युद्ध के समय पुरु ने जैसे ही सिकंदर पर प्राण घातक प्रहार करने को किया तो उसे उस राखी की याद आ गयी। जिसके फ़लस्वरुप उसने सिकंदर को नहीं मारा।
यह होता है राखी का रिस्ता।
ऐसी अनेको कथाये है -
रानी कर्णावती और हुमायुँ की कथा
मध्यकालीन इतिहास में भी ऐसी ही एक घटना मिलती है।
चित्तौण की रानी कर्णावती ने दिल्ली के मुग़ल बादशाह हुमायुँ को अपना भाई मानकर उसके पास राखी भेजी थी।
हुमायुँ ने उस राखी को स्वीकार कर ली और उसके सम्मान की रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह बहादुरशाह से युद्ध किया था।
महारानी कर्णावती की कथा इसके लिए अत्यंत प्रसिद्ध है ,जिसने हुमायुं को राखी भेजकर रक्षा के लिए आमंत्रित किया था उस राखी पवित्र बंधन ने दोनों को भाई -बहन के पवित्र रिश्ते में बांध दिया था।
मर्मस्पर्शी कथानुसार ,राजकुमारी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायुं को गुजरात के सुल्तान द्वारा हो रहे आक्रमण से रक्षा के लिए राखी भेजी थी।
यद्यपि हुमायुँ किसी कार्य अन्य में व्यस्त था फिर भी वह बहन की रक्षा के लिए चल पड़ा।
परन्तु जब वहाँ पहुंचा ,तो उसे यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि राजकुमारी के राज्य को हड़प लिया गया है।
और महारानी अपने सम्मान की रक्षा हेतु जौहर कर लिया है।
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raksha bandhan in hindi
Reviewed by S.K. Kumar
on
May 20, 2020
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