ईद का त्यौहार
ईद -उल -फितर मुसलमनो का पवित्र त्यौहार है। यह रमजान के 30 दिन के पश्चात चाँद देखकर दूसरे दिन मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है ।
रमजान के पुरे महीने में मुसलमान रोजे रखकर अर्थात भूखे -प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुजार जब वे रोजो से फ़ारिग हो जाते है तो चाँद की पहली तारीख अर्थात जिस दिन चाँद दिखाई देता है उस रोज को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्यौहार मनाया जाता है।
इसी दिन को ईद -उल -फितर भी कहते है।
ईद -उल -फितर का अर्थ
ईद -उल -फितर का अर्थ का दरअसल दो शब्द है। ईद और फितर।
असल में 'ईद 'के साथ 'फ़ितर 'को जोड़े जाने का एक खास मकशद है।
वह मकशद है रमजान में जरुरी की गई रुकावटों को ख़त्म करने का ऐलान। साथ ही छोटे -बड़े ,आमिर -गरीब सबकी ईद हो जाना।
रमजान में दिन के समय खाना -पीना व् अन्य कई बातो से रोक दिया जाता है। ईद बाद आप सामान्य दिनों की तरह दिन में खा -पी सकते है।
ईद-उल-फित्र के दिन सुबह की नमाज़ का खास महत्व होता है। लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर मस्जिद या ईदगाह में नमाज़ पढ़ने जाते हैं।
आमतौर पर इस वक्त मस्जिदों में इतनी भीड़ होती है कि लोगों को खुले मैदान में भी नमाज़ अदा करनी पड़ती है।
फितर
ईद -उल -फितर अथवा 'ईद-उल -फ़ित्र ' इस बात का ऐलान है कि अल्लाह की तरफ से जो पाबंदियां माहे रमजान में तुम पर लगाई गयी थी ,वे अब ख़त्म की जाती है।
इसी फ़ित्र से फितर बना।
फ़ित्रा यानी वह रकम जो खाते -पीते सम्पन्न घराने के लोगो के द्वारा जो आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को देते है।
ईद ली नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी है। इस तरह अमीर के साथ गरीब साधन विहीन की ईद भी मन जाती है।
असल में ईद से पहले यानी रमजान में जकात अदा करने की परंपरा है।
यह जकात भी गरीबो ,बेवाओं व् यतीमो को दी जाती है।
इसके बाद सोच यही रहती है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे ,क्योंकि यह ख़ुशी दिन है।
ईद को कैसे मानते है?
ईद का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान किसी पाक साफ जगह पर जिसे 'ईदगाह 'कहते है।
सभी वहाँ इक्कट्ठा होकर दो रकआत नमाज शुक्राने की अदा करते है। 'ए अल्लाह ,आपका शुक्रिया कि आपने हमारी इबादत काबुल की।
ईद की नमाज का हुकुम भी अल्लाह तआला की तरफ से है।
ईदगाह में नमाज़ पढ़ने के लिए जाने से मुसलमान लोग 'फितरा 'अर्थात 'जान व मॉल का सदता जो हर मुसलमान का फर्ज होता है। वह गरीबो में बांटा जाता है।
गरीब आदमी भी इस इमदाद से साफ और नये कपडे पहनकर और अपना मनपसंद खाना खाकर अपनी ईद मना सकता है।
अमीर-गरीब एक साथ मिलकर नमाज पढ़ सकते है।
रोजा क्या है ?
कुरान शरीफ के शब्दों में 'ए ईमान वालो 'हमने तुम पर रोजे पाक कर दिए है।
जैसे कि तुमने पिछली उम्मतों पर फर्ज किये थे ताकि तुम मुत्तफिक अर्थात फरमानदार बन जाओ।
यह गिनती चंद दिन की है अगर कोई मरीज है या सफ़र में है तो उस वक्त रोजे छोड़कर ईद के बाद अपने रोजे पुरे कर सकता है।
रमजान के पुरे महीने में मुस्लिम लोग भूखे -प्यासे रहकर और इंद्रयों पर नियंत्रण रखकर इबादत करते है।
वह शबे -कद्र की रात को सारी रात जाग कर अल्लाह की इबादत करते है।
रमजान क्या है ?
रमजान महीने का नाम है जिस प्रकार हिंदी महीने में चैत्र ,वैशाख ,ज्येष्ठ .........
और अंग्रेजी के महीने जैसे जनवरी ,फरवरी ,मार्च.......
ठीक उसी प्रकार मुस्लिम महीने में ,मुहर्रम ,सफर ,रबीउल ....... रमजान ,शव्वाल ,जिलकाद ,जिलहिज्ज ये बारह महीने होते है।
ईद मुसलमनो का पवित्र त्यौहार है। मुसलमान इसे बड़ी धूमधाम से मानते है। इस दिन लोग एक -दूसरे के गले मिलते है। इसके बाद एक -दूसरे मुबारकबाद देते है । यह लोगों के बीच प्रेम और भाई चारे का प्रतीक रहा है।
ईद का त्यौहार eid celebration 2020
Reviewed by S.K. Kumar
on
May 18, 2020
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